जीवन में धन का महत्व
जीवन में कुछ चीज़े ऐसी है , जिन्हे धन से नहीं ख़रीदा जा सकता है ,बाकि सारी चीज़े पाने के लिए धन की आवश्यकता होती है। हमसब जानते है की पैसा सब कुछ नहीं होता है परन्तु कुछ भी खरीदने के लिए पैसा बहुत महत्व पूर्ण है। हमे अपनी आधारभूत आवस्यकताओ के लिए धन की जरूरत होती है ,हमे बच्चो की बेहतर शिक्षा के लिए पैसे की जरूरत होती है ,हमे घर बनाने के लिए पैसे की जरूरत होती है ,हमे सामाजिक सुरक्षा के लिए पैसे की जरूरत होती है।
यद्यपि कुछ साल पहले , हमारे देश में खाद्य -विपणन व्यवस्था थी जहाँ पर हम अपनी जरूरत की वस्तुओ या सामान को खरीदने के लिए कोई दूसरी वास्तु के माध्यम से भुगतान करते थे। उदाहरण के लिए एक किसान अपने अनाज के बदले नाई या किसी मजदूर की सेवाएं लेता था। इसी तरह हमे याद है की हम अनाज के बदले दूकान से सब्जियां ख़रीदा करते थे।
परन्तु आज जमाना बदल गया है और सायद काफी बेहतर हो गया है। आज एक व्यक्ति समाज में अपनी आर्थिक हैसियत के नाम से जाना जाता है। आज कल हम एक ऐसे युग में जी रहे है जहाँ पैसे का महत्व काफी ज्यादा बढ़ गया है। यह भूगोलीकरण और आधुनिकरण का परिणाम है। हम इस बदलाव से ज्यादा तक अछूते नहीं रह सकते है। अपनी आंखे बंद करने से अँधेरा नहीं होता है। हम अपने आपको दीं दुनिया से अलग नहीं रख सकते है।
पैसा सुख तो नहीं ,पर सुख का सर्वोत्तम साधन है।
आज हमे जरूरत है अपने अंदर बदलाव लाने की जिससे हम न कि ज़माने के साथ चल सके अपितु समय को भी पीछे छोड़ सके। आज की पीढ़ी मीडिया से काफी प्रभावित है। आज उनके पास देखने के लिए Discovery,Travel &Living channel है जहाँ उन्हें विश्व के आलीशान होटल ,रेस्टोरेंट , सुकून और बेहतरीन आरामगाह और लुभावने दर्शनीय पर्यटन स्थल आसानी से टी.वी. पर देखने को मिलते है। आज की पीढ़ी देखती है कि विश्व के शीर्ष अमीर कहाँ रहते है और कैसी जिंदगी का आनंद उठाते है। वे उन्हें अपने चार्टेड हवाई जहाज़ से यात्रा करते हुए और अपनी व्यक्तिगत सभी सुख -सुविधाओं से भरपूर Boats पर छुट्टियां मनाते देखते है। आज तो हम अंतरिक्ष में जाने की सोच सकते है ,बसर्ते हम अंतरिक्षय यान का खर्चा उठा सके।
आधुनिकरण के कारण आज हमारी आधारभूत जरूरते पहले से कही अधिक बढ़ गयी है। कुछ ही साल पहले हम Landline Phone के बिना ही रहते थे , लेकिन आज मोबाइल फ़ोन हमारे जीवन का जरूरी भाग सा बन गया है। आज हम मोबाइल के बिना नहीं रह सकते है। आज से कुछ साल पहले मध्यमवर्गीय परिवारों में एक भी टी. वी. नहीं होता था लेकिन आज घर के हर कमरे में टी. वी. देखा जा सकता है। आज हम केबल नेटवर्क के बिना नहीं रह सकते है।आज के बच्चो के लिए कार्टून नेटवर्क चैनल ,पोगो और हंगामा चैनल देखना खाना खाने और पढाई से ज्यादा जरूरी हो गया है। आज से कुछ साल पहले अधिकांश मध्यमवर्गीय बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ते थे जहां उन्हें 10 पैसे या 60 पैसे फीस देनी होती थी। लेकिन आज कोई अभिभावक अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाने नहीं भेजता।
अतः हम लोग बच्चो की पढाई पर हर महीना रुपये खर्च करते है एक समय था जब हमने एक बार दाखिला फीस जमा की जब हमने पहली बार स्कूल में दाखिला लिया था। लेकिन आज हम हर साल एडमिशन फीस भरते है। आज हम सालाना रख-रखाव का शुल्क , भवन शुल्क इत्यादि भी भरते है जो पहले कभी नहीं भरा करते थे। कुछ साल पहले अधिकांश लोग यात्रा के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते थे परन्तु आज एक मोटर साइकिल , एक स्कूटर या एक मोटरकार हर मध्यमवर्गीय परिवार के अनिवार्य हो गयी है। साथ ही बिजली के बिल पिछले 20 सालो में 100 गुना बढ़ चुके है।
आज सर्विस टैक्स की वजह से हमारे रोज मर्रा के खर्चो में कम से कम 10% की वृद्धि हो चुकी है और यह निरन्तर बढ़ती जाएगी। आज अधिकांश सेवाएं सर्विस टैक्स के दायरे में आ चुकी है जिससे व्यक्ति प्रभावित हो रहा है। आज आयकर की वजह से हर मध्यमवर्गीय परिवार परेशान है। सबसे ज्यादा परेशान तो नौकरी पेशा व्यक्ति है। परन्तु उन्हें आयकर जरूर देना पड़ता है। भले ही वह अपने परिवार के लिए मेडिकल सुविधाएँ न जूता पाए।
वर्तमान में आज की पीढ़ी अपने मित्रो के समकक्ष अपने आपको देखना चाहती है और अगर उन्हें अपनी आर्थिक क्षमता में कही भी कमी नजर आती है तो उनमे हीं भावना विकसित हो जाती है। आज बच्चे अपने अभिभावक से प्रश्न करते है कि वह उन्हें उतना जेबखर्च क्यों नहीं दे सकते जितनी उनके दोस्तों को मिलता है। वे बहस करते है कि उनके अभिभावक कॉलेज आने - जाने के लिए मोटर - साइकिल क्यों नहीं दिला सकते। वे आज महँगी से महंगी छुट्टियां और महंगे कपड़ो की मांग करते है।
साथ ही आज कल हर रोज हम सुनते रहते है कि आर्थिक तंगी के कारण 5 लोगो के परिवार ने जहर खा लिया या बहुमंजिला इमारत से छलांग लगा दी और आत्महत्या कर ली ,आज प्रतिदिन प्लास्टिक मनी [Credit or Debit card] का प्रयोग सुप्रसिद्ध होता जा रहा है। फाइनेंस कंपनियों के द्वारा आसानी से मिलने वाले तमाम कर्जो की वजह से आम आदमी की परेशानी बढ़ चुकी है। अब हर अवसर के लिए कर्ज {लोन } उपलब्ध है।
जब हम घर खरीदने जाते ,कार खरीदने जाते है ,या मोटरसाइकिल खरीदने जाते है ,बच्चो की उच्य शिक्षा के लिए , सभी प्रकार के लोन आज आसानी से उपलब्ध है। कुछ और तरह के लोन जैसे विवाह कर्ज या हनीमून कर्ज आगामी महीनो में सुने जाने लगे है। परन्तु इन आसानी से उपलब्ध कर्जो को चुकाने भी तो है। आज हमारे पास हर चीज़ के लिए कर्ज उपलब्ध है पर जब तक हम कर्ज चुकाने में समर्थ है। लेकिन हमसभी इस बात पर सहमत होंगें कि कोई भी कर्ज हमे बुढ़ापा गुजारने के लिए नहीं मिलता।
एक बात पर तो सभी सहमत होंगें कि एक दिन हम सभी बुजुर्ग होंगे। हम लगातार एक ही क्षमता और ऊर्जा से काम नहीं कर सकते और एक समय पर आकर सेवानिवृति भी हो जाएंगे। कुछ ही लोगो की किस्मत अच्छी होती है जो स्वैक्षिक सेवानिवृत्ति प्राप्त करते है ,और महसूस करते है कि उनकी जिम्मेदारी और देनदारी बहुत कम है क्योंकि वे उससे ज्यादा धन प्राप्त कर चुके है। परन्तु आज कल अधिकांश नौकरी पेशा या खुद के रोजगार में लगे व्यक्ति अपनी इच्छानुसार से काम से सेवानिवृति नहीं हो सकते।
वे बुढ़ापे की समस्या से संघर्ष करते रहेंगे। अधिकांश लोग अपने जीवन भर कमाई खर्च कर देते है - अपनी आधारभूत जरूरतों में ,सुरक्षा में ,सामाजिक प्रतिष्ठा में और कभी उनके पास परिवार के जरूरतों से आगे सोचने का समय ही नहीं मिलता। अधिकांश लोग अपनी इच्छाओ और अपने भविष्य के बारे में सोच ही नहीं पाते है।
लेकिन कौन कहता है कि आने वाला समय अंधकारमय होगा ? कौन कहता है कि हमे जिंदगीभर अपनी इच्छाओ से समझौता करते रहेंगे ? कौन कहता है कि वातावरण में ठंडी हवा के झोके कभी नहीं होंगे ? कौन कहता है कि हमे सपनो को पूरा करने का अवसर नहीं मिलेगा ?कौन कहता है कि हमे जिंदगीभर परेशान रहना होगा ? कौन कहता कि हम अपने परिवार की जिम्मेदारी को नहीं निभा पाएंगे ? कौन कहता है कि हम 60 सालो की उम्र में ही सेवानिवृतहो सकते है ? कौन कहता है कि हमारे परिवार की इच्छाए कभी पूरी नहीं होंगी ? कोटि कोटि धन्यवाद नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नेस को। हम ख़ुशनसीब है की ईश्वर ने ये शानदार अवसर हमे प्रदान किया जहाँ पर इन सब चिंताओं से मुक्ति मिल सकती है ,जहाँ पर हम अपने सारे सपने साकार कर सकते है।
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वर्तमान में आज की पीढ़ी अपने मित्रो के समकक्ष अपने आपको देखना चाहती है और अगर उन्हें अपनी आर्थिक क्षमता में कही भी कमी नजर आती है तो उनमे हीं भावना विकसित हो जाती है। आज बच्चे अपने अभिभावक से प्रश्न करते है कि वह उन्हें उतना जेबखर्च क्यों नहीं दे सकते जितनी उनके दोस्तों को मिलता है। वे बहस करते है कि उनके अभिभावक कॉलेज आने - जाने के लिए मोटर - साइकिल क्यों नहीं दिला सकते। वे आज महँगी से महंगी छुट्टियां और महंगे कपड़ो की मांग करते है।
साथ ही आज कल हर रोज हम सुनते रहते है कि आर्थिक तंगी के कारण 5 लोगो के परिवार ने जहर खा लिया या बहुमंजिला इमारत से छलांग लगा दी और आत्महत्या कर ली ,आज प्रतिदिन प्लास्टिक मनी [Credit or Debit card] का प्रयोग सुप्रसिद्ध होता जा रहा है। फाइनेंस कंपनियों के द्वारा आसानी से मिलने वाले तमाम कर्जो की वजह से आम आदमी की परेशानी बढ़ चुकी है। अब हर अवसर के लिए कर्ज {लोन } उपलब्ध है।
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1 टिप्पणियाँ
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